Last modified on 29 अप्रैल 2015, at 15:30

दुर्गा का दरबार चंपो-मोगरो / मालवी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दुर्गा का दरबार चंपो-मोगरो
कोणरू राम बीणे फूल
कांकी बऊ हार गूंथे
गूंथ्यो-गुथायो हार देवी के सिर ही चढ़े
मांग रे सेवक मांग
आज को मांग्यो पावे
चखे मांगे दूद
गोदी में पुत्र भवानी
अखंड मांगू एैवात