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दुर्घटना / सत्यनारायण स्नेही

वो कहराता रहा
बहता रहा खून
लोग इक्टठे होते गए
खींचते गए तस्वीरें
दनादन पोस्ट करते गए
बढते गए लाईक्स और कमैंट।
तकनीक के आगे
बेबस दिखीं
संवेदना और सहानुभूति
करती रही विलाप।
कविता में
जब नहीं सुनी जाएगी
आत्मा की आवाज़
सूख हो जाएंगे
रिश्तों के सरोवर
टी0वी0सीरीयल में
दिखेगा
इंतज़ार, इज़हार
इकरार और प्यार
कहानियों में ही
पढ़ा जाएगा
आस्था, विश्वास
अहसास और जज़बात
सिर्फ़ खिलौनों से
खेलता रहेगा आदमी
बेटा क़ैद करेगा
पिता की अन्तिम सांसे
कर देगा पोस्ट
अपनी वाल पर
[यह कह कर]
ये थी मेरे पिता की
आखिरी सेल्फ़ी