Last modified on 20 मार्च 2017, at 13:49

दूर-काले बादलों में / तरुण

दूर-काले बादलों में बोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!
हाय, सावन के पवन में बोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!

चांदनी हो या अँधेरी,
जेठ या मधु-ऋतु, शरद है-
भूमि की जलवायु में तो-
चिर जलन है, चिर दरद है!

हाय, जलते प्राण में रस घोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!
दूर-काले बादलों में बोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!

चांदनी हो या अँधेरी,
जेठ या मधु-ऋतु, शरद है-
भूमि की जलवायु में तो-
चिर जलन है, चिर दरद है!

हाय, जलते प्राण में रस घोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!
दूर-काले बादलों में बोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!

बन्धनों की इस धरा पर
हाय, बन्दी गान मेरे,
साँस पर रक्खी शिलाएँ,
छटपटाते प्राण मेरे!

मुक्त नभ में मुक्त पाँखें खोलती चिड़िया,
हाय, जलते प्राण में रस घोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!
दूर-काले बादलों में बोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!

शुष्क मेरे कंठ को तू-
दे, न दे, संगीत लहरी-
किन्तु मेरी पीर में तो
यों न बन तू हाय, बहरी!

हाय, घुँघराले घनों में बोलती चिड़िया-
हाय, जलते प्राण में रस घोलती चिड़िया-
मुक्तनभ में मुक्त पाँखें खोलती चिड़िया-

मुझे भी साथ लेती जा!
पवन में साथ लेती जा!
दूर-काले बादलों में बोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!

1954