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दूवा 21-30 / सत्येन जोशी

हियौ हिलोरां ले रयौ, चित में चेत्यौ चाव।
रे मन मेळू सायबा, फागण रै मिस आव।21।

गौरवै ऊभी गोरड़ी, टींवै पिव रौ पंथ।
गाडी री बिळिया टळी, अजहूं न आयौ कंत।22।

फागण आयौ सायबा, हिलमिल खेलां फाग।
उमगां जोध-जवान है, धिन धिन थारा भाग।23।

साजन थारै रंग में, रंगग्यौ म्हारौ मन्न।
म्हा सूं पिव, म्है पीव सूं, जीन एक दो तन्न।24।

सावण बीतौ सायबा, भादरवौ बेहाल।
बादळ थाका बरसता, नैण पावसै हाल।25।

बिरवौ दोवड़ौ झेलतां, कायी व्हेगी कंत।
कागा सुगन बतावजे, जोनूं पिव रौ पंथ।26।

छातां चूवै माळियै, भीतां तेड़ा खाय।
नीवां में पाणी मरै, परण्या बेगौ आव।27।

कूवै, कूवै भांग है, मनड़ै, मनड़ै मैल।
गतराळां री गोठ में, गाफळ बाजै छेल।28।

मुळकण मोत्यां ऊजळी, नैणा उजब उदास।
हंसा करै उतावळी, उडणौ दूर अकास।29।

मुळकी काची कूपलां, खिरग्या पाका पान।
कुदरत रै इण नेम रौ, वनसपति नै ग्यान।30।