कुछ कहते नहीं पत्ते
सूनेपन को शब्द करते हैं
ख़ुद से भर कर—
हवा में बसा है जो
एक दिन
झर जाते हैं चुपचाप
हवा के सूनेपन को
दृश्य करते हुए ।
—
25 अगस्त 2009
कुछ कहते नहीं पत्ते
सूनेपन को शब्द करते हैं
ख़ुद से भर कर—
हवा में बसा है जो
एक दिन
झर जाते हैं चुपचाप
हवा के सूनेपन को
दृश्य करते हुए ।
—
25 अगस्त 2009