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दृष्टि-उत्थायन / राजकमल चौधरी

ताकि रहल छी
कोनो डारिमे होयत अबस्से कत्तहु एक टा फूल
ताकि रहल छी
परतीमे छूटि गेल छल, हमरे कारी गाय
ताकि रहल छी
जायब गाम, कहिया थिक भदवा आ दिग्शूल
ताकि रहल छी
दूधकेँ, वा माहुरकेँ, नहि अछि आन उपाय

(मिथिला मिहिर: 31.12.61)