बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
देखत स्याम माँग पै मोये,
गोला मुख पै गोये
फन्दन फन्द फूल बेला कौ,
बीचन बीच बिदोये।
बेनी जलद चार कय केरत,
तिरवेंनी सें धोये,
उठत पराग अतर पटिया की,
गये सरवोर निचोये।
ईसुर उतै प्राण की परवी
मन लै चली चितौये।