राग नट
देखि मुनि! रावरे पद आज |
भयो प्रथम गनतीमें अबतें हौं जहँ लौं साधु समाज ||
चरन बन्दि, कर जोरि निहोरत, "कहिय कृपा करि काज |
मेरे कछु न अदेय राम बिनु, देह-गेह सब राज||
भली कही भूपति त्रिभुवनमें को सुकृती-सिरताज? |
तुलसि राम-जनमहितें जनियत सकल सुकृत को साज ||