वैदिक धर्म जाण्ते कोन्या झूठी करैं सफाई
देखे नकली महाशय भाई।टेक
जितने हैं महाशय भाई सभी हाहाकार करते
तुम ही तो सुनने वाले कितनी मारा मार करते
ज्ञान की कोए बात नहीं अवगुण को इजहार करते
जितने है महाशय भाई सब पेट का रोजगार करते
पाछे तै मे काट करैं आगे से प्यार करते
जितने भाई सूनने वाले क्यों नहीं विचार करते
ये तै अपणी करैं बड़ाई।
उन ही का काम भाई उन ही कै सिर पाड़ै रोट
महाशय जी का काम देखो कितनी गहरी मारैं चोट
उन ही का काम भाई उन ही के सिर काढ़ैं खोट
असली थे महाशय भाई नकली बनाने लगे
महाशय जी का काम देखो कैसा गाना गाने लगे
बड़े बड़ों की धूल को खुद आप ही उड़ाने लगे
स्वामी जी कै भी बट्टा ला दिया जिसने या कौम बचाई।
ईब कै बताऊंगा कुछ सांगियां के काम भाई
सांगियां नै खो दिया बाहमणां का नाम भाई
वेदाचारी रहे कोन्या हो गये गुलाम भाई
आप ही तो पढ़्या करते औरों को पढ़ाया करते
ब्राह्मणों की मान थी ब्राह्मण पुजे जाया करते
बेदों के भण्डार थे औरों को सिखाया करते
आज बणगे लोग लुगाई।
एक बै तै देखते ही आगे से प्रेम कितना
घर में मुस्के कला करैं नखरा करते मेम कितना
दो घड़ी रैं रैं करकें खो दे सै टेम कितना
म्हारे तै के जिद लाओ हम तैं सां उता कै ऊत
जो कोए म्हारी काट करै वे नर जागे ऊत न पूत
के तै राजी खुशी मान जावैं ना तें बाद में बजा द्यां जूत
कहै मेहर सिंह छन्द गा कै बता कुणसी झूठ बहकाई।