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देखोॅ जरा सोची केॅ / ब्रह्मदेव कुमार

स्वच्छता अभियान के बात, सुनोॅ भैया-बहिना मोर
स्वच्छ रहै में, स्वस्थ रहै में, सब्भैं लगाबोॅ जोर।
देखोॅ जरा सोची केॅ-
एकरे सेॅ तोरोॅ जिनगी मेॅ ऐथौं इंजोर॥
भोरे उठी केॅ मुँह-कान धोय केॅ, शौचालय मेॅ जाय
शौच के बाद, धोहियोॅ हाथ, साबून मली-मली भाय।
देखोॅ जरा सोची केॅ-
एकरे सेॅ तोरोॅ जिनगी मेॅ ऐथौं इंजोर॥

एकरोॅ बाद तोहें की करिहोॅ, जानी लेॅ तोंय भाय
पानी ढारी-ढारी, साबून मली-मली, रोजे तोंय लिहोॅ नहाय।
देखोॅ जरा सोची केॅ-
एकरे सेॅ तोरोॅ जिनगी मेॅ ऐथौं इंजोर॥
सप्ताह मेॅ तोंय नाखून कटेहोॅ, महीना मेॅ बाल बनाय
कपड़ोॅ-लŸाा झक-झक राखिहोॅ, तनियो नै मैल देखाय।
देखोॅ जरा सोची केॅ-
एकरे सेॅ तोरोॅ जिनगी मेंॅ ऐथौं इंजोर॥
विद्यालय के बाहर-भीतर, दिहोॅ झाड़ू लगाय
शौचालय भी राखिहोॅ चकाचक, तनी टा ध्यान लगाय।
देखोॅ जरा सोची केॅ-
एकरे सेॅ तोरोॅ जिनगी मेॅ ऐथौं इंजोर॥

साफ-सुथरा स्वस्थ रहबेॅ तेॅ, पढ़ै मेॅ लागथौं मोॅन
पढ़ी-लिखी आपनोॅ मंजिल पैभेॅ, सोची केॅ राखलेॅ छोॅ जोंन।
देखोॅ जरा सोची केॅ-
एकरे सेॅ तोरोॅ जिनगी मेॅ ऐथौं इंजोर॥