देख्यो श्रीवृंदा बिपिन पार बिच बहति महा गंभीर धार .
नहिं नाव,नहिं कछु और दाव हे दई !कहा कीजै उपाव.
रहे वार लग्न की लगै लाज गए पारहि पूरै सकल काज.
यह चित्त माहि करिकै विचार परे कूदि कूदि जलमध्य धार.
देख्यो श्रीवृंदा बिपिन पार बिच बहति महा गंभीर धार .
नहिं नाव,नहिं कछु और दाव हे दई !कहा कीजै उपाव.
रहे वार लग्न की लगै लाज गए पारहि पूरै सकल काज.
यह चित्त माहि करिकै विचार परे कूदि कूदि जलमध्य धार.