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देख ली आरसी / राजूराम बिजारणियां

सदीव
अलेखूं
चै‘रां भेळो
कर लेवतो आपरो चै‘रो
घणी कलाकारी सूं
जको चै‘रो.!

बो आज
लोही सूं बकराळैड़ो
बणनै
चितेरो चिंतावां रो
पड़्यो है
सैं सूं कड़खै...

ताफड़ा तोड़तो!

सुणण में आयो
स्यात उण आज
पैली बार
देख ली
आरसी.!