पाठ नामक लघु किन्तु सार्थक पत्रिका के सम्पादक देवांशु पाल अपने समय के दर्द को पुनर्व्याख्यायित करते हैं, विस्थापन या दलित जीवन सम्बन्धित समस्याएँ नयीं नहीं हैं, किन्तु उनकी लड़ाई पुरानी भी नहीं पड़ी है। देवाँशु उसी पुरानी पड़ती सामाजिक जंग और विस्थापन को जीवन देते हैं। साहित्यिक विस्मरण के विरुद्ध के अभियान ही सही।
आपका पता हैः--देवाँशु पाल, गायत्री विहार, गली विनोबा नगर, बिलासपुर, छत्तीसगढ़।