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देवी गीत 1 / रामरक्षा मिश्र विमल

रे मनवा माई के जय बोल.
भरमत रहबऽ असहीं हरदम, माया के जय गोल.
 
नीमन पहिरन चीकन भोजन मनलऽ तन अनमोल
बाकिर एक दिन उड़ि जाई सुगना पिंजरा के खोल.
 
जय माँ दुर्गे जय माँ काली जग में सुंदर बोल
ईहे राह दिखा के भव के बंधन दीही खोल.
 
जीव जगत में दरसन कइ लऽ माई के अनमोल
विमल रङा लऽ भगति चुनरिया छोड़ऽ टालमटोल.