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देशद्रोही / नित्यानंद गायेन

और इस तरह
मैं बन गया गुनाहगार
कि दोस्ती के नाम पर
नहीं दिया मैंने
तुम्हारे गुनाहों में साथ
तुम्हारे
झूठ को नहीं माना
रिश्तों के नाम पर
मैंने वही कहा हर जगह
जो सत्य था मेरे लिए
और अन्त में
मैं बन गया
देशद्रोही !