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देश की आशाएँ / केदारनाथ अग्रवाल

सैकड़ों हज़ार गिद्ध

व्योम के प्रसार में उधार क्षुब्ध क्रुद्ध पंख

माँस की पुकार मार

अंधकार का अपार आरपार नोचते !

देश के करोड़ पुत्र

छोड़ सिन्धु,गंग, ब्रह्म, विन्ध्य के महाप्रदेश,

क्षीण, वृत्तिहीन, त्रस्त,

खा पछाड़, यत्र-तत्र पेट को मरोड़ते !!