Last modified on 21 मई 2011, at 01:35

देश यह उसने गढ़ा है / विनोद तिवारी


देश ये उसने गढ़ा है
आदमी जो बेपढ़ा है

झूठ की इन बस्तियों में
सत्य सूली पर चढ़ा है
 
लोग सब बौने हुए हैं
और उसका क़द बढ़ा है

रोशनी सहता नहीं है
यह अँधेरा नकचढ़ा है

पढ़ तो लीं तुमने किताबें
आदमी को भी पढ़ा है?