Last modified on 6 नवम्बर 2009, at 01:22

देह / जया जादवानी

कपड़ा एक नया नकोर
ल्कलफ़ लगा
सफ़ेद
लौटाते हुए सोचती हूँ
काश एक ही धब्बा लगा होता
ज़रा सा मसला गया होता
धुला होता कम से कम
एक बार
पटक-पटक कर
तुम्हारे खाट पर...।