बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
दोई नेंनन की तरवारें,
प्यारी फिरें उवारें।
अलेमान, गुजराम सिरोही।
सुलेमान झकमारे।
ऐंचत बाढ़ म्याँन घूँघट की,
दैकाजर की धारैं।
ईसुर स्याम बरकते रइयो,
अंधयारै उजयारै।
दोई नेंनन की तरवारें,
प्यारी फिरें उवारें।
अलेमान, गुजराम सिरोही।
सुलेमान झकमारे।
ऐंचत बाढ़ म्याँन घूँघट की,
दैकाजर की धारैं।
ईसुर स्याम बरकते रइयो,
अंधयारै उजयारै।