दोऊ अनंद सो अनंद माँझ बिराजै असाढ की साँझ दुहाई .
प्यारी के बूझत और तिया को अचानक नाम लियो रसिकार.
आई उनै मुंह में हँसी,कोहि तिया पुनि चाप सी भौंह चढ़ाई.
आँखिन तें गिरे आँसुन के बूँद,सुहास गयो उड़ी हंस की नाई.
दोऊ अनंद सो अनंद माँझ बिराजै असाढ की साँझ दुहाई .
प्यारी के बूझत और तिया को अचानक नाम लियो रसिकार.
आई उनै मुंह में हँसी,कोहि तिया पुनि चाप सी भौंह चढ़ाई.
आँखिन तें गिरे आँसुन के बूँद,सुहास गयो उड़ी हंस की नाई.