शायद निभाव हो भी जाता
कुछ रहता, कुछ छूट जाता
आधे से काम चलाते
पूरे का प्रयास होता
‘होता ?’
करता कौन
जब साफगोई फैशन थी
समझौते किसे सुहाते।
शायद निभाव हो भी जाता
कुछ रहता, कुछ छूट जाता
आधे से काम चलाते
पूरे का प्रयास होता
‘होता ?’
करता कौन
जब साफगोई फैशन थी
समझौते किसे सुहाते।