Last modified on 14 जुलाई 2013, at 19:12

दोस्त / अनिता भारती

दोस्त
जब भी मैं
अपनी आँखें
बंद करती हूं
तुम्हारा मनमोहक
चेहरा मेरे सामने
आ जाता है
तुम्हारे साँवले
चेहरे पर दो आँख चेतनशील
मानों सब कुछ
उलटने-पलटने को तैयार
तुम्हारी बंद मुठ्ठी की
हथेलियों में
तुम्हारी बैलोस
खिलखिलाती हँसी
वो तुम्हारी नाक पर
रखा गुस्सा
जंग खाए पुराने ख्यालात को
एकदम तहस-नहस करने को अमादा
बंदिशों से लदे-फदे टोकरे को
ढ़ोने को बिल्कुल तैयार नही हो तुम
न मेरे लिए न अपने लिए
कहते हो तुम बार-बार
दुनिया बदलेगी
बदलेगी दुनिया एक दिन जरूर
तुमसे शय पा कर
हज़ारों हाथ खड़े हो जाते है
तुम्हारे साथ
छोटे से साँवले चेहरे पर
छोटी सी गुस्सीली नाक वाले साथी
बदलाव के लिए जूझते हुए तुम
वाकई बहुत खुबसूरत लगने लगते हो