पढ़ा-लिखा इन्सान ही, लिखता है तकदीर
अनपढ़ सदा दुखी रहा, कहे कवि महावीर।101।
एकान्तवास जब कभी, मुझे करे बेचैन
स्मृतिवन के चलचित्र में, विचरुं तो हो चैन।102।
वर्तमान से भूत की, सारी कड़ियाँ जोड़
याद करो पल खुशनुमा, उदासियों को छोड़।103।
क्या भविष्य की गर्त में, मत हो तू हैरान
क्या अच्छा तू कर सके, कर इसकी पहचान।104।
परलौकिक आनंद है, अध्यात्म दे सकून
मृगतृष्णा है वासना, कर इच्छा का ख़ून।105।
मिले न जीवन में कभी, तुझे परम् संतोष
इच्छा का परित्याग कर, भर जायेगा जोश।106।
सबका खेवनहार है, एक वही मल्लाह
हिंदी में भगवान है, अरबी में अल्लाह।107।
होता आया है यही, अचरज की क्या बात
सच की ख़ातिर आज भी, ज़हर पिए सुकरात।108।
भक्षक बनता आदमी, दीन, धर्म को ओढ़
धर्म रसातल को गया, फूटा बनकर कोढ़।109।
लोकतन्त्र की नाव में, नेता करते छेद
जनता बड़ी महान है, तनिक न करती खेद।110।