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दोहा सप्तक-50 / रंजना वर्मा

अभिनन्दन चन्दन करे, भारत माँ के द्वार।
कह कह वंदे मातरम, गया लोक के पार।।

बुरा नही हम चाहते, कभी किसी का भूल।
जाने क्यों होता नहीं, समय किन्तु अनुकूल।।

मस्त रहें हर हाल में, चाहे जो हो वक्त
दुख सुख तो आते रहें, वक्त बदलता सख्त।।

भात सदा शुभ ही नहीं, होता है हर बार।
मामा लाते ब्याह में, तब मनता त्यौहार।।

हो अभिमान कभी नहीं, मिलने पर सम्पत्ति।
लाता है अभिमान ही, भीषण सदा विपत्ति।।

धार बहे यदि प्रेम की, समय रहे अनुकूल।
अनजाने में भी कभी, हो न किसी से भूल।।

है हमको मंजूर प्रभु, हर दुख सुख का दान।
सुख से दुख अच्छा लगे, याद रहें भगवान।।