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दोहा सप्तक-90 / रंजना वर्मा

सभी घोटाले दब गये, शेयर या बोफ़ोर्स।
सी बी आई तक लगा, है अब इनका सोर्स।।

इतना सब को दे दिया, भरा सभी का पेट।
फ़िक्स कर दिया आज है, हमने सबका रेट।।

अम्बर बरसाने लगा, जब भीषण हथियार।
धरती किसको बाँट दे, स्नेह शांति अरु प्यार।।

मन में मीठी कल्पना, आगत का विश्वास।
ले बहुएँ जलती रहें, जले ननद ना सास।।

जन्माती जो जगत को, उसका क्या सम्मान।
पग पग रहे तिरस्कृता, पुरुष करे अभिमान।।

पोस्टरों पर नाचती, नित्य नयी तस्वीर।
सुत निर्वसना देखता, ये कैसी तकदीर।।

दादा 'पोता' चाहते, 'पुत्र' पिता की चाह।
माँ की ममता रो रही, कहीं न दीखे राह।।