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दो इंछावां / मदन गोपाल लढ़ा

कैकेयी रै वचनां सूं
बंध्योड़ै
राजा दशरथ री
राम सूं
दो इंछावां-
भरत नैं राज
अर चवदै बरसां रो देसूंटो।

मा री मनगत सूं
बंध्योड़ै
बाबै री पण
मोभी बेटै सूं
फगत दो इंछावां-
घर छोड़'र
मती जा अळघो
अर अबै तो संभाळ
घर रो भार।