सब तेरे सिवा काफ़िर, आख़िर इसका मतलब क्या!
सिर फिरा दे इन्साँ का ऐसा ख़ब्ते-मज़हब क्या!!
मजाल थी कोई देखे तुम्हें नज़र भरकर।
यह क्या है आज पडे़ हो मले-दले क्योंकर॥
सब तेरे सिवा काफ़िर, आख़िर इसका मतलब क्या!
सिर फिरा दे इन्साँ का ऐसा ख़ब्ते-मज़हब क्या!!
मजाल थी कोई देखे तुम्हें नज़र भरकर।
यह क्या है आज पडे़ हो मले-दले क्योंकर॥