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दो का पहाड़ा / श्रवण कुमार सेठ

दो ने दो से किया गुणा
तो जाकर वह चार बना,

और तीन से ऐसा करके
देखो छः आया बन ठन के,

फिर आ गई चार की बारी
दो ने आठ की की सवारी,

दो जब आया पांच के पास
खुल गया तब दस का राज,

दो ने देखा छः की ओर
नाच उठा बारह का मोर,

दो ने पूछा कहां है सात
शुरू हुई चौदह की बात,

आठ से उसकी हो गई यारी
सोलह करने लगा तैयारी,

दो ने नौ को प्यार से देखा
अटठारह की बन गई रेखा

सबसे बाद में आया दस
दो ने पकड़ी बीस की बस I