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दो जोड़ी आँखें / अज्ञेय

 
म्निमोसिनी, मुझे नींद दे!
क्यों रात-भर
दो जोड़ी आँखें मुझे सताती हैं!
एक जोड़ी
पूरे चेहरे में जड़ी हैं
पर कितनी बर्फीली ठंडी
है उसकी चितवन!
और दूसरी
सुलगती है, दिपती है
पर कोई चेहरा
उस के पीछे रूप नहीं लेता
रात-भर। रात-भर
दो जोड़ी आँखें मुझे सताती हैं।

अक्टूबर, 1969

म्निमोसिनी : स्मृति की देवी