न उसको मोती की है चाह।
न उसको है कपूर से प्यार।
नहीं जी में है यह अरमान।
तू बरस दे उस पर जल धार।1।
स्वाति घन! घूम घूम सब ओर।
आँख अपनी तू मत ले मूँद।
बहुत प्यासा बन चोंच पसार।
चाहता है चातक दो बूँद।2।
न उसको मोती की है चाह।
न उसको है कपूर से प्यार।
नहीं जी में है यह अरमान।
तू बरस दे उस पर जल धार।1।
स्वाति घन! घूम घूम सब ओर।
आँख अपनी तू मत ले मूँद।
बहुत प्यासा बन चोंच पसार।
चाहता है चातक दो बूँद।2।