द्यूत पाप का बाप है माता लालच जान।
बंश दंभ छल तस्करी झूठ कपट अभिमान।।
झूठ कपट अभिमान क्रोध मद घात लगाए।
राजा नल अरु धर्मराज अस पल महं रंक बनाए।।
कहैं रहमान सदा तुम बचियो द्यूत पुराना भूत।
भूत लगै ओझा हरै नाश करै तुम्हें द्यूत।।
द्यूत पाप का बाप है माता लालच जान।
बंश दंभ छल तस्करी झूठ कपट अभिमान।।
झूठ कपट अभिमान क्रोध मद घात लगाए।
राजा नल अरु धर्मराज अस पल महं रंक बनाए।।
कहैं रहमान सदा तुम बचियो द्यूत पुराना भूत।
भूत लगै ओझा हरै नाश करै तुम्हें द्यूत।।