आन्हर घरक अन्धकारमे
आब साँप नहि मारब
तोड़ि देब बरू तेल पियाओल लाठी।
थाकल देहक अन्ध-कूपमे
आब झाँप नहि मारब
कतबो ग्राह ग्रसित कएने हो मातल हाथी।
आन्हर घरक अन्धकारमे
अहाँ साँप कटबाउ
अपने देहक पंकिल जंगल पहाड़मे
एसकरि बीन बजाउ।
आन्हर घरक अन्धकारमे
आब साँप नहि मारब
तोड़ि देब बरू तेल पियाओल लाठी।
थाकल देहक अन्ध-कूपमे
आब झाँप नहि मारब
कतबो ग्राह ग्रसित कएने हो मातल हाथी।
आन्हर घरक अन्धकारमे
अहाँ साँप कटबाउ
अपने देहक पंकिल जंगल पहाड़मे
एसकरि बीन बजाउ।