वे अन्तःकरण के द्वारपाल हैं
अनुशासित विनयशील
तत्पर
सुन्दर सुशील सौम्य
बच्चों को देखते ही वे
मुस्कराते हैं......
बच्चों को देखकर
वे
क्यों
मुस्कराते हैं इतनी तीखी मुस्कान?
और क्या कहूँ इन बच्चों को
अभी उन्हें
डर की समझ नहीं है...
मृगशावक तो
पैदा होते ही
सूँघ लेता है
तीन मील दूर छिपे तीरन्दाज़ को
और बच निकलता है
आदमी के बच्चे को
सब कुछ ख़ुद ही सीखना पड़ता है-
जीवों के विकास क्रम की
यह भी
एक विडम्बना है...