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द्वारे पे बाजे शहनाई / हिन्दी लोकगीत

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

द्वारे पे बाजे शहनाई, बन्नी की हो गई बिदाई
द्वारे पे बाबा रोवें, आंगन में दादी
पैरों पड़ा रोवे भाई, बहन मेरी हो गई पराई

द्वारे पे बाजे शहनाई, बन्नी की हो गई बिदाई
द्वारे पे पापा रोवें, आंगन में मम्मी
पैरों पड़ा रोवे भाई, बहन मेरी हो गई पराई

द्वारे पे बाजे शहनाई, बन्नी की हो गई बिदाई
द्वारे पे चाचा रोवें, आंगन में चाची
पैरों पड़ा रोवे भाई, बहन मेरी हो गई पराई