बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
धनि शिव बाबा मूरति तोरि
जटन से गंगा बही है
हां हां रे जटन से गंगा बही है
ऐ झालखण्ड मां झांझै बजत हैं
गया बजत घरियाल
ए बरहाँ बजा बजे अजुध्या जहां राम लिहिनि अउतार
जहाँ राम लिहिनि अउतार
जटन से गंगा बही है
धनि शिव बाबा मूरति तोरि
जटन से गंगा बही है
हां हां रे जटन से गंगा बही है
ऐ झालखण्ड मां झांझै बजत हैं
गया बजत घरियाल
ए बरहाँ बजा बजे अजुध्या जहां राम लिहिनि अउतार
जहाँ राम लिहिनि अउतार
जटन से गंगा बही है