साईं रखियो नियम यह धन पदवी को पाय।
रक्षा करियो दीन की हरि भजियो मन लाय।।
हरि भजियो मन लाय दान से हाथ न मुड़ियो।
करियो सेवा मातु पितु परिजन रंक न छुड़ियो।।
रहमान स्वर्ग सापान यहि सद्ग्रंथन बतलाई।
नहीं घटे धन धन धर्म पद रहै नियम यह साईं।।
साईं रखियो नियम यह धन पदवी को पाय।
रक्षा करियो दीन की हरि भजियो मन लाय।।
हरि भजियो मन लाय दान से हाथ न मुड़ियो।
करियो सेवा मातु पितु परिजन रंक न छुड़ियो।।
रहमान स्वर्ग सापान यहि सद्ग्रंथन बतलाई।
नहीं घटे धन धन धर्म पद रहै नियम यह साईं।।