धन से बिकती डिग्री देख
ऐसा करके तू भी देख
घर के भीतर घर कितने
क्या असली क्या नकली देख
घर की बात गई बाहर
लुढ़की सर की पगड़ी देख
मेरे दुख के दर्पण में
सूरत -आभा अपनी देख
मस्जिद के स्वर से मिलता
है मंदिर की घंटी देख
जितने मुख उतनी बातें
दुनिया है तो कहती देख
नज़रें ऊंची रख लेकिन
पांव के नीचे धरती देख
किसके पीठ पड़े कोरे
किसकी उघड़ी चमड़ी देख