डाक्टर!
यहाँ धरती तीक देवता छी
हाथ में अछि औजार अहाँक!
शल्य क्रिया सँ ह्रदय नारीक
तार तार क' देखलौं
प्यार ममता मोह आदर सं भरल
लहू पिण्ड कँ
कात राखि देलौं.
अस्थि चर्ममय देहक समस्त अवयव
अहाँ लेल छी मात्र यंत्र
चीर लौं काटलौं
किछ सियन डी धाह भरि दैत छी
मुदा,
अहों विसरि जायत छी
नारीक अंतर मन से हो होयत छैक
जाहिठाम
त्याग समर्पण फूल विहूँसैत अछि
ओहिठाम धरि अहाँक एक्सरे क' पहुँच नहिं छैक.
विज्ञान तरक्की क' जायत
सभ्यता विकसित भ एक्कीसवीं सदी में
चलि जायत, मुदा
अहोंक नारी मोन कँ नय
चीन्ही सकब,
अपूर्ण उपचार सँ ओहि में
प्राण नहिं भरि सकब.
मोन के जानबा लेल
मोनक आवश्यकता होयत छैक
उपचार आ शल्य क्रियाक नहिं
ई नहीं विसरु
शास्त्र पढि अहाँ धरतीक देवता
बनि गेलौं
मुदा,
युग-युग सँ नारी देवी अछि
शक्ति अछि
बिनु शक्ति क देवता कुछ नहिं
अहों कुछ नहिं
पढि लेलक मानव
वेड शास्त्र इतिहास सब
नारीक मोन कँ पढि
नहिं सकल
युग-युग सँ भीत चकित नारी
स्वयं अपना कँ
चीन्ही नहिं सकत...