अंतस में
समेट रखा है
पुराना बीज
मिलते ही बूंद
पुजवा देगी
कभी मरुस्थल वासियों को
अक्षयतृतिया !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"
अंतस में
समेट रखा है
पुराना बीज
मिलते ही बूंद
पुजवा देगी
कभी मरुस्थल वासियों को
अक्षयतृतिया !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"