Last modified on 9 दिसम्बर 2012, at 20:07

धरती / संगीता गुप्ता

धरती
मुझे देर तक
सह नहीं पाती
जब भी रोंपती हूँ जड़ें
अज्ञात दिशाओं से उमड़ते
आँधी - तुफान
आजमाने लगते हैं मुझे

असमाप्त चुनौती है
प्रतिकूलताओं से जूझता
मेरा अस्तित्व