Last modified on 11 जून 2016, at 02:41

धरती के वरदान / दिनेश बाबा

हे जाबुन के गाछ दोहाय
की करिहौं हम तोर बढ़ाय
बड्डी गुण तोर जाबुन में
खाय लेॅ हमरा दहूनी भाय
छोटू छी हम चढ़ेॅ नै पारभौं
कष्ट होथौं, ढेपोॅ नै मारभौं
किरपा जरा देखाबोॅ नी
पाकलॉे फोॅल गिराबोॅ नी
अभी उमिर हमरोॅ छै खिच्चा
जाबुन खाय केॅ रोपबै बिच्चा
जाड़ा, गर्मी बरसातोॅ में
बढ़बै हम गाछैं साथोॅ में
जब जाबुन फरतै इफरात
जोगवारी करबै दिन-रात
गाछ छिकै वर्षा के कारण
पर्यावरण रोॅ छिकै उधारण
छोटू के मन जानकै गाछें
दिल होकरोॅ पहचानकै गाछें
जाबुन गिरले टप टप टप
खेलका छोटू गप गप गप
ऐलै हवा के एक झकोरा
चुनी चुनी वें भरलक झोरा
पर्यावरण के दोष मिटावै
गाछ तहीं सबके मन भावै
जीवन छै आ प्राणधरा के
पेड़ छिकै वरदान धरा के