हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
धरती माता नै हर्यो कर्यो
गऊ के जाये नै हर्यो कर्यो
जीव जंत के भाग नै हर्यो कर्यो
ढाणा खेड़े नै हर्यो कर्यो
जमना माई नै हर्यो कर्यो
धना भगत को हर तै हेत
बिना बीज उपजायो खेत
बीज वच्यो सो सन्तां नै खायो
घर भर आंगन भर्यो