Last modified on 13 अगस्त 2014, at 07:18

धर्म से प्रीति / मुंशी रहमान खान

प्रीति रखियो धर्म से दुहूँ लोक सुख होय।
कलियुग अति बलवान है कही न मानैं कोय।।
कही न मानैं कोय संग नीचन का करिकै।
नेम धर्म आचार लाज तज चलैं चाल नीचन से बढ़कै।।
कहैं रहमान युवक तुम चेतहु अपने पुरुषन रीति।
पुरुष तुम्‍हारे रहे शिखर पर धर्म से राखी प्रीति।।