इष्ट कहीजै श्रीरघुनाथ। क्षेत्र अयोध्या सदा सनाथ।
चित्रकूट जाकी रमशाला। धाम रमेश्वर प्रगटे काला॥
कूटी पंचवटी गोदावरि। मंत्र राम-तारक ले उर धरि॥
इतना जो गुरु द्वारे पावे। रामानन्दी रामहिँ भावै॥
इष्ट कहीजै श्रीरघुनाथ। क्षेत्र अयोध्या सदा सनाथ।
चित्रकूट जाकी रमशाला। धाम रमेश्वर प्रगटे काला॥
कूटी पंचवटी गोदावरि। मंत्र राम-तारक ले उर धरि॥
इतना जो गुरु द्वारे पावे। रामानन्दी रामहिँ भावै॥