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धारावाहिक 3 / वाणी वंदना / चेतन दुबे 'अनिल'

( हिन्दी कविता का इतिहास)

चंदबरदाई जी ने रच कर रासो एक,
रासो की परंपरा को काव्य में ढला दिया।
कबिरा ने तानपूरे पर छेड़ - छेड़ तान,
माया - जीव - ब्रह्म सब एक में मिला दिया।
पद्मावती का सुचरित्र गढ़ जायसी ने,
कविता में एक प्रेम - पंथ ही चला दिया।
शारदे! तुम्हारी ही तो पाकर कृपा की कोर,
कवियों ने कविता का दीपक जला दिया।