Last modified on 6 जून 2011, at 13:09

धुआँ ..आग ..रोटी / नील कमल

बहुत धुआँ है शहर में

तो क्या आग भी है बहुत
शहर के सीने में ?

है अगर आग
तो क्या सिंकती हैं रोटियाँ भी
शहर में ?

चलो, तुम कहते हो सही तो
रोटियाँ होंगी ज़रूर शहर में

लेकिन कॉमरेड
अभी-अभी जो मर गया
शहर का नवीनतम नागरिक
सरकारी अस्पताल के जनरल वार्ड में

उसकी मौत की वज़ह
क्या है ? धुआँ ..? आग ..? रोटी ..?

इन तीनों कोणों के बीच में है
मौत की वज़ह
जिसे पॅालिटिक्स कहते हैं

मैंने झूठ तो नहीं कहा न ?