चोंच खोल कर
नीला पक्षी एक बड़ा-सा
अभी-अभी पी गया
कटोरा भर उजियाला।
अब डैने फैलाकर बैठा
उखड़े हुए दिवस की
लम्बी मुरझाई डाली के ऊपर,
तलछट नीचे बिखरी
सब कुछ काला-काला !
चोंच खोल कर
नीला पक्षी एक बड़ा-सा
अभी-अभी पी गया
कटोरा भर उजियाला।
अब डैने फैलाकर बैठा
उखड़े हुए दिवस की
लम्बी मुरझाई डाली के ऊपर,
तलछट नीचे बिखरी
सब कुछ काला-काला !