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धूप उतारे राई-नोन / यश मालवीय

धूप उतारे राई-नोन
आँगन में महका लोहबान
गन्ध नहाये भीगे प्राण
हम सा भाग्यवान है कौन ?

पानी उठ-उठ कर गिरता
बीच नदी में मन तिरता
लहरों के बनते हैं कोण

आँखों में चन्दन के वन
युकलिप्टस के चिकने तन
दिन साखू रातें सागौन