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धूप की नदी / स्वप्निल श्रीवास्तव


धूप में नदी

सूर्य का

सीधे सामना

करती है


ख़ामोश मुठभेड़ में

गर्म हो जाता है

नदी का पानी


नदी सिमट कर

हो जाती है

अंजुरी-भर


और तट

काफ़ी दूर


नदी

जीवित रहती है

पानी में

बादलों में

समुंदर में

लोगों के अनुभव में


और

धूप में भी

दिन की तरह

जीवित रहती है

नदी