Last modified on 31 अक्टूबर 2009, at 23:59

धूप के धान / अचल वाजपेयी

तुम जो धूप में
धान बोते हुए
गर्व से निकल गए
पीछे मुड़ो और देखो
तुम कीच भरे पानी में
गहरे धँस चुके हो
और धान
उन्हें धूप ने
एक काले रजिस्टर पर
टाँक दिया है